नोएडा : जेपी हॉस्पिटल में 5 साल की बच्ची की हुई सफलतापूर्वक किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी। बच्ची की माँ ने अपनी बच्ची को किडनी देकर उसका जीवन बचाया। घण्टों तक चली यह सर्जरी परिवार के लिए उम्मीद की नई किरण लेकर आई है, जो मां के निःस्वार्थ प्यार की अद्भुत क्षमता को दर्शाती है।
जेपी हॉस्पिटल के डॉक्टरों की टीम ने इस मुश्किल सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। इस टीम में डॉ अमित के देवरा (डायरेक्टर), डॉ विजय कुमार सिन्हा (डायरेक्टर), डॉ लोक प्रकाश चौधरी (सीनियर कन्सलटेन्ट), डॉ रवि कुमार सिंह (कन्सलटेन्ट) और डॉ अनुज अरोड़ा (एसोसिएट कन्सलटेन्ट) शामिल थे। अपने सशक्त अंग प्रत्यारोपण प्रोग्राम के साथ जेपी हॉस्पिटल अब तक सफलतापूर्वक 800 से अधिक किडनी ट्रांसप्लान्ट कर चुका है।
बच्ची क्रोनिक किडनी रोग और हाइपरटेंशन(बी. पी.) से पीड़ित थी और उसे अच्छी गुणवत्ता का जीवन देने का एक मात्र तरीका था किडनी ट्रांसप्लान्ट। बच्ची की मां ने अपनी बच्ची को किडनी देने की इच्छा जताई, जिसके बाद उन्हें डोनेशन के लिए फिट पाया गया।
सर्जरी के बारे में बात करते हुए डॉ अमित के देवरा, डायरेक्टर एवं कोऑर्डिनेटर- किडनी ट्रांसप्लान्ट प्रोग्राम- जेपी हॉस्पिटल, नोएडा ने बताया, ‘‘हमें यह बताते हुए बेहद खुशी का अनुभव हो रहा है कि हमने अपने अस्पताल में सबसे कम उम्र की बच्ची पर किडनी ट्रांसप्लानट को सफलतापूर्वक अंजाम दिया, बच्ची को फुली फंक्शनिंग ग्राफ्ट के साथ छुट्टी दी गई। मात्र 5 साल की उम्र और 15 किलो वज़न के साथ बच्ची का सफल ट्रांसप्लान्ट हमारी मेडिकल टीम के कौशल एवं समर्पण की पुष्टि करता है। पीडिएट्रिक किडनी ट्रांसप्लान्ट हमेशा से चुनौतीपूर्ण होता है, सर्जरी के दौरान वाइटल लक्षणों पर पूरी निगरानी रखनी पड़ती है, इसी तरह सर्जरी के बाद भी हमारे नेफ्रोलोजिस्ट फ्लूड मैनेजमेन्ट और इम्युनोसप्रेसेन्ट केयर करते हैं। यह सर्जरी हमारी टीम के लिए और भी मुश्किल थी, क्योंकि हमें व्यस्क की किडनी को एक छोटे बच्चे में ग्राफ्ट करना था, जहां स्पेस भी सीमित था। कई मुश्किलों के बीच, यह सर्जरी साढ़े तीन घण्टे तक चली। जिसमें बच्ची की मां से किडनी को हार्वेस्ट किया गया और बच्ची के शरीर में इसे मेजर वैसल्स- कॉमन इलियक आर्टरी और आईवीसी- के साथ कनेक्ट किया गया। हमारे सर्जनों की टीम में कौशल और सटीकता के साथ इसे सफलतापूर्वक अंजाम दिया। सर्जरी के तुरंत बाद यूरीन आउटपुट देखा गया, इससे हम आश्वस्त हो गए कि ट्रांसप्लान्ट सफल रहा।’’
‘‘हमें खुशी है कि हमने बच्ची की किडनी ट्रांसप्लान्ट सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया, इस सर्जरी में बच्ची की मां खुद डोनर थीं। पीडिएट्रिक ट्रांसप्लान्ट बेहद दुर्लभ और चुनौतीपूर्ण होता है। खासतौर पर पुरूष प्रधान समाज में अक्सर अभिभावकों को बच्ची की ट्रांसप्लान्ट सर्जरी के लिए तैयार करना बहुत मुश्किल होता है। हमारी नेफ्रोलोजी टीम बच्ची को डायलिसिस के साथ अन्य जरूरी मेडिकल एवं न्यूट्रिशनल सपोर्ट दे रही थी, ताकि सर्जरी से पहले बच्ची के स्वास्थ्य को ठीक बनाए रखा जा सके। पीडिएट्रिक डायलिसिस भारत में बड़े पैमाने पर उपलब्ध नहीं है, लेकिन हम बच्ची को सर्वश्रेष्ठ संभव देखभाल प्रदान करना चाहते थे। बच्ची की स्थिति में सुधार आने के बाद, उसका ट्रांसप्लान्ट किया गया, जो पूरी तरह से सफल रहा। सर्जरी के बाद की देखभाल में फ्लूड और ड्रग मैनेजमेन्ट भी बड़ा काम होता है, लेकिन हमें यह बताते हुए भी खुशी का अनुभव हो रहा है कि बच्ची की किडनी अब ठीक से काम कर रही है। हमें विश्वास है कि बच्ची किसी भी दूसरे बच्चे की तरह स्वस्थ और खुश रहेगी।’’ डॉ विजय कुमार सिन्हा, डायरेक्टर, डिपार्टमेन्ट ऑफ नेफ्रोलोजी एण्ड किडनी ट्रांसप्लान्ट, जेपी हॉस्पिटल, नोएडा ने कहा।
इस सर्जरी की सफलता, जेपी हॉस्पिटल की मेडिकल टीम की विशेषज्ञता और समर्पण की पुष्टि करती है। यह मां के प्यार की क्षमता और अंगदान के महत्व पर भी रोशनी डालती है। अस्पताल को उम्मीद है कि दिल को छू जाने वाली यह कहानी बहुत से अन्य लोगों को अंग दान करने और कीमती ज़िंदगियां बचाने के लिए प्रेरित करेगी।
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