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RSS कार्यप्रणाली: विकेंद्रीकृत ढांचा, लेकिन विचारधारा में एकरूपता- डॉ मनोज कुमार शुक्ला

नई दिल्ली।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का संगठनात्मक ढांचा और कार्यप्रणाली भारतीय सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन का एक अनोखा उदाहरण है। बिना किसी औपचारिक पंजीकरण, चुनाव या सरकारी सहायता के भी RSS आज दुनिया का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन बन चुका है।

संगठनात्मक ढांचा
संघ का सर्वोच्च पद सरसंघचालक होता है, जो विचार और दिशा तय करता है। वर्तमान सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत हैं। वहीं सरकार्यवाह संगठन के दैनिक संचालन और नीतियों के कार्यान्वयन की जिम्मेदारी संभालते हैं।
राष्ट्रीय स्तर पर अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल संघ की प्रमुख इकाई है, जबकि प्रांत, क्षेत्र, विभाग, नगर और शाखा तक इसका सुव्यवस्थित ढांचा फैला हुआ है।

शाखा – संघ की आत्मा
RSS की सबसे बुनियादी इकाई शाखा है। यहां प्रार्थना, योग-व्यायाम, खेल, बौद्धिक चर्चा, गीत और सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से स्वयंसेवकों का शारीरिक, बौद्धिक और नैतिक विकास किया जाता है। संघ मानता है कि शाखा चरित्र निर्माण की प्रयोगशाला है।

कार्यप्रणाली की विशेषताएं
संघ का हर स्वयंसेवक निःस्वार्थ सेवा भाव से कार्य करता है।

प्रचारक व्यवस्था के तहत कई कार्यकर्ता पूर्णकालिक जीवन संघ को समर्पित करते हैं।

संगठन राजनीति से दूरी बनाए रखने की बात करता है, हालांकि इसके स्वयंसेवक भारतीय राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाते हैं।

RSS की कार्यप्रणाली विकेंद्रीकृत है, लेकिन विचारधारा और नीति में एकरूपता रखी जाती है।

संघ परिवार
RSS से प्रेरित विभिन्न संगठनों को मिलाकर “संघ परिवार” कहा जाता है। इनमें भारतीय जनता पार्टी (BJP) राजनीति में, ABVP शिक्षा क्षेत्र में, विश्व हिंदू परिषद (VHP) धार्मिक-सांस्कृतिक जागरण में, सेवा भारती सामाजिक सेवा में और भारतीय मजदूर संघ (BMS) श्रमिक संगठन में कार्यरत हैं।

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