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जेपी हॉस्पिटल ने किडनी रोगों पर आयोजित किया जागरुकता सत्र

नोएडा : जेपी हॉस्पिटल ने किडनी के स्वास्थ्य पर विशेष जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया। डॉ अमित देवरा, डॉ अनिल प्रसाद भट्ट और डॉ विजय कुमार सिन्हा ने सत्र को सम्बोधित किया तथा यूरीन की समस्याओं, किडनी रोगों एवं डायलिसिस के बारे में लोगों को जानकारी दी।

विश्व किडनी दिवस एक विश्वस्तरीय स्वास्थ्य जागरुकता अभियान है, जो किडनी के स्वास्थ्य पर ध्यान केन्द्रित करता है और किडनी रोगों के मामलों को कम करने और इनमें सुधार लाने के लिए प्रयासरत है।

इस अवसर पर डॉ अमित देवरा डायरेक्टर, डिपार्टमेन्ट ऑफ यूरोलोजी एवं किडनी ट्रांसप्लान्ट एवं कोऑर्डिनेटर किडनी ट्रांसप्लान्ट प्रोग्राम, जेपी हॉस्पिटल (नोएडा) ने कहा, ‘‘यूरीन में रूकावट जैसी समस्या बहुत आम हो गई हैं, जो एक या दोनों यूरेटर्स में हो सकती हैं। यूरेटर वह ट्यूब है जो यूरीन को किडनी से ब्लैडर में लेकर जाती हैं। यूरेटर में रूकावट होने पर यूरीन आगे नहीं बढ़ पाता। अगर इस रुकावट का इलाज न किया जाए तो किडनी को नुकसान पहुंच सकता है। इसके कारण मरीज़ को दर्द होता है और इन्फेक्शन की संभावना भी बढ़ जाती है। गंभीर मामलों में यूरेटर में रुकावट होने पर किडनी फेलियर, सेप्सिस (जानलेवा रोग) या मृत्यु तक हो सकती है। यूरेटर ब्लॉक होने पर मरीज़ में कई लक्षण हो सकते हैं जैसे पेट, पीठ के नीचले हिस्से, पसलियों के साईड में दर्द, बुखार, मतली, उल्टी, यूरीन पास करने में परेशानी, बार बार पेशाब की इच्छा, यूरीनरी टैªक्ट में इन्फेक्शन, यूरीन में ब्लड आना या यूरीन का रंग गहरा होना और टांगों में सूजन।

किडनी शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है। इसका मुख्य काम है रक्त को शुद्ध करके यूरीन बनाना। किडनी रक्त में हानिकारक और बेकार पदार्थों एवं अन्य रसायनों को अलग कर के निकाल देती है, जिनकी शरीर को ज़रूरत नहीं होती। किडनी रोगों को साइलेट किलर कहा जाता है। इनकी वजह से किडनी के फंक्शन्स पर असर होता है और अंत में मरीज़ किडनी फेलियर का शिकार हो जाता है। जिसके बाद मरीज़ को या तो आजीवन डायलिसिस पर निर्भर रहना पड़ता है या किडनी ट्रांसप्लान्ट के द्वारा ही उसका इलाज संभव होता है।

किडनीय रोगों की रोकथाम पर ज़ोर देते हुए डॉ अनिल प्रसाद भट्ट, डायरेक्टर, डिपार्टमेन्ट ऑफ नेफ्रोलोजी एवं किडनी ट्रांसप्लान्ट जेपी हॉस्पिटल (नोएडा) ने कहा, ‘‘शुरूआत में निदान होने पर किडनी रोगों का इलाज संभव है, लेकिन अक्सर लोगों को किडनी रोगों के बारे में तब पता चलता है जब तक रोग बहुत ज़्यादा बढ़ चुका होता है और किडनी को बहुत नुकसान पहुंच चुका होता है। किडनी रोगों के कई कारण हैं जैसे डायबिटीज़, उच्च रक्तचाप, दिल की बीमारियां, परिवार में किडनी रोगों का इतिहास और मोटापा। सीकेडी की रोकथाम का सबसे अच्छा तरीका यह है कि नियमित रूप से अपनी जांच कराएं। रक्तचाप और ब्लड शुगर पर नियन्त्रण रखें, क्योंकि इनका असर हॉर्मोन, बीमारियों एवं तनाव पर पड़ता है। सेहतमंद आहार और नियमित व्यायाम से भी आप अपनी किडनी को सुरक्षित रख सकते हैं। कम सोडियम और कम कार्बोहाइड्रेट से युक्त आहार किडनी की सेहत के लिए उपयोगी है। अपने आहार में फलों और सब्ज़ियों का सेवन भरपूर मात्रा में करें। बहुत ज़्यादा पेनकिलर या हर्बल सप्लीमेन्ट न लें।’

क्रोनिक किडनी रोग गंभीर हैं, लेकिन इनका प्रबन्धन किया जा सकता है। सही सहयोग से आप अपने जीवन में भावनात्मक एवं शारीरिक स्वास्थ्य पर नियन्त्रण रख सकते हैं।

डॉ विजय कुमार सिन्हा, एडीशनल डायरेक्टर, डिपार्टमेन्ट ऑफ नेफ्रोलोजी एण्ड किडनी ट्रांसप्लान्ट, जेपी हॉस्पिटल, (नोएडा) ने डायलिसस पर रोशनी डालते हुए कहा, ‘‘डायलिसिस जीवन बचाता है, लेकिन इसमें कोई दोराय नहीं कि डायलिसिस पर आने के बाद मरीज़ का जीवन हमेशा के लिये बदल जाता है। उसे अपनी दिनचर्या में बदलाव लाने पड़ते हैं, अपने मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना होता है- खासतौर पर तब जब मरीज़ डायलिसिस की शुरूआती अवस्था से गुज़र रहा हो।’
डायलिसिस के साथ जीना आसान नहीं है, लेकिन सकारात्मक सोच के साथ इस चुनौती को स्वीकारा जा सकता है और इसके साथ भी सामान्य जीवन जिया जा सकता है। ऐसी गतिविधियां करें, जिनसे आपको खुशी मिले। निराश न हों। अपने वो सभी शौक पूरे करें जो आप डायलिसिस से पहले करते थे, अपनी सेहत पर ध्यान दें। दोस्तों से मिलें, काम जारी रखें। सामान्य जीवन और सामान्य दिनचर्या को जारी रखकर आप ज़्यादा खुश और स्वस्थ रहेंगे। अपने शरीर, मन पर ध्यान देकर डायलिसिस के मरीज़ भी अच्छा जीवन जी सकते हैं।’
27 मार्च 2022, रविवार को जेपी हॉसिपटल अपने परिसर में दोपहर 11 बजे से 2 बजे तक किडनी रोगों पर निःशुल्क ओपीडी कैम्प का आयोजन कर रहा है। इसके लिए रजिस्ट्रेशन और कन्सलटेशन मुफ्त है तथा हेल्थ चैक, लैब एवं रेडियोलोजी पर 20 फीसदी छूट दी जाएगी।

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